Game Changer: राम चरण की दमदार परफॉर्मेंस, कहानी में बस औसत दर्जा क्यों?
Ram Charan shines in Game Changer, लेकिन फिल्म की कहानी राजनीतिक ड्रामा के बावजूद औसत रह जाती है। जानें, क्या यह Shankar के निर्देशन में एक missed opportunity है।
“Game Changer: राम चरण की दमदार परफॉर्मेंस, लेकिन कहानी में औसत दर्जा”
आज की राजनीति, भ्रष्टाचार, और सत्ता के खेल पर बनीं फ़िल्में दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बनी रहती हैं। Shankar के निर्देशन में बनी “Game Changer” भी इसी धारणा पर आधारित है। फ़िल्म का फोकस चुनावी राजनीति, भ्रष्टाचार, और एक ईमानदार IAS अधिकारी की लड़ाई पर है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह फ़िल्म इस विषय में कुछ नया पेश कर पाई है?
फ़िल्म की शुरुआत Ram Nandan (Ram Charan) से होती है, जो एक ईमानदार IAS अफसर हैं। उनकी ख्वाहिश है कि वे विशाखापट्टनम को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएँ। उनकी ईमानदारी और गुस्से से भरा स्वभाव उनकी ताकत और कमजोरी दोनों है। दूसरी तरफ़, मुख्यमंत्री Satyamurthy (Srikanth) और उनके बेटे Mopidevi (SJ Suryah) और Munimanikam (Jayaram) भ्रष्ट राजनीति के माध्यम से सत्ता को हथियाना चाहते हैं।
फिल्म का पहला भाग काफी धीमा और सतही लगता है। दर्शकों को ऐसा महसूस होता है जैसे यह कहानी पहले भी देखी या सुनी गई है। Ram Charan और Kiara Advani के बीच का रोमांटिक एंगल न केवल ज़बरदस्ती का लगता है, बल्कि कहानी में कोई अहम योगदान भी नहीं देता। पहले भाग का सबसे रोचक हिस्सा वह है जब Ram Nandan एक बड़े बदलाव से गुजरते हैं और कहानी थोड़ा गति पकड़ती है।
दमदार एक्टिंग और औसत निर्देशन
Ram Charan ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह अपने दम पर किसी भी किरदार को जीवंत कर सकते हैं। फ़िल्म में उनके दो किरदार हैं—Ram Nandan और उनके पिता Appanna। दोनों भूमिकाओं में उन्होंने जान डाल दी है। Ram Nandan के गुस्से से भरे IAS अफसर और Appanna के शांत, लेकिन जुझारू व्यक्तित्व को उन्होंने बखूबी निभाया। उनका यह प्रदर्शन फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है।
SJ Suryah ने अपने किरदार को ओवरड्रामेटिक बना दिया, जो कुछ दृश्यों में अच्छा लगता है लेकिन अधिकतर जगह खटकता है। दूसरी ओर, Kiara Advani का किरदार बहुत कमजोर लिखा गया है। उनकी मौजूदगी केवल गानों और कुछ भावनात्मक दृश्यों तक सीमित है। Jayaram ने हल्के-फुल्के ह्यूमर के साथ अपने किरदार को जीवंत किया, लेकिन उनका स्क्रीन टाइम बहुत कम है।
Shankar, जिनकी पहचान भव्यता और सामाजिक मुद्दों पर आधारित कहानियों के लिए होती है, इस बार दर्शकों को निराश करते हैं। फिल्म में शंकर की भव्यता तो है लेकिन कहानी और पटकथा कमजोर हैं। कई जगहों पर फ़िल्म की कहानी उनकी पुरानी फ़िल्मों जैसे “Indian” और “Anniyan” की याद दिलाती है।
तकनीकी पक्ष और संगीत
फ़िल्म का प्रोडक्शन डिज़ाइन और सिनेमैटोग्राफी बेहतरीन हैं। भव्य सेट्स और शानदार दृश्य फ़िल्म को एक अलग ऊंचाई पर ले जाते हैं। लेकिन फ़िल्म केवल दिखावे तक ही सीमित रह जाती है। S Thaman का म्यूजिक और बैकग्राउंड स्कोर औसत दर्जे का है। गाने कहानी में बाधा डालते हैं और उनमें वह ताजगी नहीं है जो दर्शकों को लुभा सके।
फ़िल्म के मुद्दे
फ़िल्म का मुख्य मुद्दा राजनीति और भ्रष्टाचार पर आधारित है। लेकिन, फ़िल्म चुनावी राजनीति के गहरे पक्षों को प्रभावशाली ढंग से नहीं दिखा पाती। Ram Charan का एक भाषण, जिसमें वे राजनीति में वोट बैंक और भ्रष्टाचार के मुद्दों को उठाते हैं, सतही और प्रेरणाहीन लगता है।
Shankar की पहचान उनकी फिल्मों में भावनात्मक फ्लैशबैक के लिए होती है, और Game Changer में भी ऐसा एक फ्लैशबैक है, जिसमें Ram Charan के पिता Appanna के संघर्ष को दिखाया गया है। लेकिन यह फ्लैशबैक न ही प्रभावशाली है और न ही कहानी में गहराई लाता है।
“Game Changer” राम चरण के प्रशंसकों के लिए एक विजुअल ट्रीट हो सकती है, लेकिन यह फिल्म गहरी और दमदार कहानी पेश करने में नाकाम रहती है। फिल्म की भव्यता और Ram Charan की परफॉर्मेंस इसकी ताकत है, लेकिन कमजोर पटकथा और औसत निर्देशन इसे एक औसत दर्जे की फिल्म बना देते हैं।
क्या यह फिल्म आपकी उम्मीदों पर खरी उतरी?
“Game Changer” देखने के बाद आप महसूस करेंगे कि यह एक शानदार अवसर था, जो कमजोर लेखन और सतही निर्देशन के कारण चूक गया। अगर आप Ram Charan के फैन हैं, तो इसे देखने का अनुभव कर सकते हैं, लेकिन एक नई और दमदार कहानी की तलाश है, तो यह फिल्म आपको निराश कर सकती है।
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First Published on: January 10, 2025 3:08 pm IST